कबीरा मन पँछी भया, भये ते बाहर जाय । जो जैसे संगति करै, सो तैसा फल पाय ॥

Wednesday, January 20, 2010

सत्संग

सत्संग

सत्संग (संस्कृत सत् = सत्य, संग= संगति) का अर्थ भारतीय दर्शन में है (1) "परम सत्य" की संगति, (2) गुरु की संगति, या (3) व्यक्तियों की ऐसी सभा की संगति जो सत्य सुनती है, सत्य की बात करती है और सत्य को आत्मसात् करती है.[] इसमें विशिष्ट बात है कि इसमें प्राचीन ग्रंथों को सुना या पढ़ा जाता है, उस पर बात की जाती है, उसके अर्थ पर चर्चा की जाती है, उन शब्दों के स्रोत को आत्मसात् किया जाता है, ध्यान किया जाता है और उनके अर्थ को अपने दैनंदिन जीवन में उतारा जाता है. समकालीन पाश्चात्य सत्संग कराने वाले गुरु- जो अक्सर अद्वैत वेदांत परंपरा के हैं - कई बार परंपरागत पूर्वी ज्ञान को आधुनिक मनोविज्ञान की पद्धतियों के साथ मिलाते हैं.

संदर्भ

  1. सत्संग, भारतीय अध्यात्म के संदर्भ में एक परंपरागत कार्यकलाप है जिसका अर्थ है "अच्छे और सदाचारी साथियों के साथ रहना." सतसंग का अर्थ है एक ज्ञानसंपन्न व्यक्ति के साथ बैठना जो साधारणत: थोड़े में बात कहता है और बाद में प्रश्नों के उत्तर देता है.

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